Shiv Chalisa | शिव चालीसा – महादेव की महिमा का दिव्य स्त्रोत

शिव चालीसा (Shiv Chalisa) केवल एक भजन नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों से भगवान शिव का स्मरण करने का माध्यम है। यह 40 छंदों वाली स्तुति भगवान भोलेनाथ की महिमा, उनकी लीलाओं, और शक्तियों का गूढ़ वर्णन करती है। इसका पाठ करने से जीवन में शांति, साहस और भक्ति का संचार होता है।

Shiv Chalisa

शिव चालीसा क्या है?

शिव चालीसा एक भक्ति-पूर्ण स्तुति है जिसमें भगवान शिव की महिमा, उनका स्वरूप, शक्तियाँ और भक्तों पर कृपा का वर्णन होता है। यह चालीसा तांत्रिक साधना नहीं बल्कि सच्ची श्रद्धा से जुड़ा एक आध्यात्मिक पथ है।

इसमें भगवान शिव की सौम्यता, क्रोध, करुणा, और न्याय का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है। यह न केवल अध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि हमारे विचारों को शुद्ध करने और आत्मबल बढ़ाने में सहायक है।
जैसे भगवान गणेश हर शुभ कार्य से पहले पूजे जाते हैं, वैसे ही शिव चालीसा भी जीवन में मंगल लाती है।
गणेश भक्ति के लिए गणेश चालीसा पढ़ें।

शिव चालीसा कब और कैसे पढ़ें ?

समयलाभ
प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त मेंमानसिक शांति और दिनभर ऊर्जा
सोमवार (शिव का दिन)विशेष फलदायी और इच्छाओं की पूर्ति
प्रदोष व्रत या महाशिवरात्रिआध्यात्मिक उन्नति और पापों से मुक्ति
संकट या मानसिक परेशानी मेंआत्मबल, धैर्य और समाधान की प्राप्ति

Shiv Chalisa | श्री शिव चालीसा

दोहा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्या दास तुम, देहु अभय वरदान॥

चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर सिर गंग बहाई।
मुण्डमाल तन छार लगाई॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की हवै दुलारी।
बाल सुभाव धरे त्रिपुरारी॥

पार्वतीपति शिव अस कहावै।
सदा सुहागिन को सुखदावै॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबही जाय पुकारा।
तब ही दुःख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुम्हें जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायो।
लवनिमेष महं मारि गिरायो॥

आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबल बिलोकि त्रिलोकी तिन्ह खाई॥

धरा न ध्यान राम को जब हीं।
भये प्रकट दारुण भल तब हीं॥

ले त्रिशूल रघुनाथ पठायो।
लंका जारि सिया सुधि लायो॥

त्रेता युग प्रताप तुम्हारा।
सब जग जाने महादेव प्यारा॥

रावण जबहि युध में जाया।
रणहिं मध्ह शिव पूजन कराया॥

सहस्र नयन पूजन करि कीन्हा।
तब प्रसन्न प्रभु असीस दीन्हा॥

पांचानन नहिं जानै बाता।
सो नल नील भूमि करि डाटा॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।
जीत युद्ध भै सब सुख दीन्हा॥

और भक्ति के शक्ति अपारा।
सब तें सदा तुम्हारी सारा॥

प्रेम भक्ति दृढ़ जो जन लावै।
प्रेम सहित प्रभु पास बुलावै॥

तिनके कारज सकल सवारो।
दु:ख दोष तिनके सब टारो॥

कर त्रास जब आप दिखावै।
भूत प्रेत सब दूर भगावै॥

लक्ष्मीपति जब चरण चुरायो।
तब नारद जी समाचार लायो॥

किये ध्यान जब आपने देखा।
भयो प्रकट चोर संहारे देखा॥

शरण पड़े फिर जो कोई।
ताके संकट दूर करोई॥

प्रभु प्रताप कबि पार न पावै।
जो जस लिखे रामु गुन गावे॥

मैं मति हीन मोर न लाजा।
करहु कृपा जगदिव्य राजा॥

दोहा
शंकर हो संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम भक्ति करि पाठ यह, पावै भव सुरभूप॥


पाठ की विधि:

  • प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति/तस्वीर के समक्ष बैठें।
  • दीपक, धूप, बेलपत्र, जल और सफेद फूल अर्पित करें।
  • शांत मन से शिव चालीसा का उच्चारण करें।
  • अंत में शिव आरती करें और प्रार्थना में अपने मन की बात कहें।

शिव चालीसा के लाभ

1. संकट निवारण और आत्मशक्ति

भगवान शिव को “संकटनाशक” कहा जाता है। चालीसा का पाठ जीवन की परेशानियों से उबरने में मदद करता है।

2. मन की शांति और ध्यान की शक्ति

चालीसा का नियमित पाठ ध्यान केंद्रित करता है और मन में स्थिरता लाता है।

3. भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

शिव को तांत्रिक शक्तियों के अधिपति माना गया है। उनके स्मरण से नकारात्मक ऊर्जा हटती है।

4. आरोग्य और दीर्घायु

शिवजी को आयु, स्वास्थ्य और संयम का देवता माना जाता है। उनका नाम लेने से रोग भी दूर होते हैं।

5. भक्ति और मोक्ष की ओर अग्रसरता

चालीसा का पाठ आपको मोह-माया से ऊपर उठाकर सच्चे आत्मिक मार्ग की ओर ले जाता है।


शिव चालीसा पढ़ने की सावधानियाँ

  • शुद्धता रखें: स्नान करके, साफ वस्त्र पहनकर पाठ करें।
  • बेलपत्र अर्पित करें: शिव को बेलपत्र प्रिय है।
  • ध्यान एकाग्र रखें: मन भटकने न दें।
  • धीरे और भावपूर्ण पाठ करें: जल्दी न पढ़ें।

शिव चालीसा से जीवन में प्रेरणा

शिव चालीसा केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक है – जो आपको सिखाता है कि कैसे स्थिरता, संयम, भक्ति और आंतरिक शक्ति से जीवन की सबसे कठिन चुनौतियों को पार किया जा सकता है। यह जीवन को सरल, सच्चा और सफल बनाने की राह दिखाता है।


सवाल-जवाब: शिव चालीसा को और करीब से जानिए

Q. शिव चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए ?

आप इसे प्रतिदिन पढ़ सकते हैं, विशेषकर सोमवार को। मनोकामना पूर्ति हेतु 11 या 21 दिन लगातार पढ़ना शुभ होता है।

Q. क्या महिलाएं शिव चालीसा पढ़ सकती हैं ?

हाँ, महिलाएं पूर्ण श्रद्धा और शुद्धता के साथ शिव चालीसा पढ़ सकती हैं। इसमें कोई निषेध नहीं है।

Q. क्या शिव चालीसा बिना दीप जलाए पढ़ सकते हैं ?

हां, परंतु दीप जलाने से एक पवित्र वातावरण बनता है जिससे ध्यान और साधना प्रभावशाली होती है।


अब देर किस बात की? आज से ही शिव चालीसा को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं, और भोलेनाथ की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समाधान का अनुभव करें।

हर हर महादेव!

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