Ganesh Chalisa | श्री गणेश चालीसा का पाठ करने के लाभ और सही विधि हिंदी में

Ganesh Chalisa | श्री गणेश चालीसा

गणेश चालीसा केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक ऐसी आध्यात्मिक साधना है जो हमारे जीवन में शांति, सफलता और विश्वास का संचार करती है। भगवान गणेश को समर्पित यह 40 छंदों वाली स्तुति उनके स्वरूप, शक्तियों और लीलाओं का सुंदर वर्णन करती है।

गणेश चालीसा क्या है?

गणेश चालीसा एक भक्ति भजन है जिसमें भगवान गणेश के गुणों, शक्तियों और उनके जीवन की घटनाओं का विस्तृत उल्लेख होता है। इसे पढ़ने से मन में श्रद्धा उत्पन्न होती है और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना गहराई से जुड़ती है।

इस चालीसा में भगवान गणेश के बुद्धिमत्ता, बल, सौम्यता, और मार्गदर्शन की भावना प्रकट होती है, जिससे पाठक को जीवन के हर मोड़ पर आशा और प्रेरणा मिलती है।

गणेश चालीसा कब और कैसे पढ़ें?

समयलाभ
सुबह (स्नान के बाद)दिन की शुरुआत सकारात्मकता से होती है और मन शांत रहता है।
बुधवार कोविशेष रूप से शुभ माना जाता है, यह दिन गणेश जी को समर्पित होता है।
किसी नए कार्य की शुरुआत से पहलेगणेश जी का आशीर्वाद लेकर कार्य करने से सफलता मिलने की संभावना बढ़ती है।
गणेश चतुर्थी के दिनचालीसा पढ़ने से पुण्य फल प्राप्त होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
Ganesh chalisa

Ganesh Chalisa | श्री गणेश चालीसा

दोहा
जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

चौपाई
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभः काजू॥

जै गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।
गौरी लालन विश्व-विख्याता॥

ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मुषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुची पावन मंगलकारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥

अतिथि जानी के गौरी सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कही अन्तर्धान रूप हवै।
पालना पर बालक स्वरूप हवै॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥

सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥20॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥

गिरिजा कछु मन भेद बढायो।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥

कहत लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥

नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥

गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥

हाहाकार मच्यौ कैलाशा।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटी चक्र सो गज सिर लाये॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥

मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीना पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

दोहा

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥

पाठ की विधि:

  1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और शांत मन से पूजा स्थान पर जाएं।
  2. भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो के सामने दीप, अगरबत्ती और पुष्प अर्पित करें।
  3. उन्हें दूर्वा, मोदक, लाल फूल और सिंदूर अर्पित करें, ये उन्हें प्रिय हैं।
  4. आंखें बंद करके शुद्ध उच्चारण में चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।
  5. पाठ के बाद भगवान से अपने मन की बात कहें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

गणेश चालीसा के लाभ

गणेश चालीसा का नियमित पाठ जीवन में कई तरह के सकारात्मक बदलाव लाता है – मानसिक, आध्यात्मिक और भौतिक।

  • बाधा निवारण: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा गया है क्योंकि वे हर प्रकार की रुकावट और परेशानियों को दूर करते हैं। चालीसा का पाठ करते समय आपके मार्ग में आने वाली समस्याएं स्वतः हल होने लगती हैं।
  • बुद्धि और विवेक: गणेश जी को ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। उनका स्मरण करने से मस्तिष्क अधिक सक्रिय होता है और निर्णय लेने की क्षमता में सुधार होता है।
  • आत्मविश्वास और साहस: गणेश चालीसा का पाठ आपको जीवन की उलझनों से घबराने के बजाय उनका डटकर सामना करना सिखाता है। इससे आत्मबल और संकल्पशक्ति बढ़ती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह चालीसा नकारात्मक शक्तियों और नज़र दोष से सुरक्षा प्रदान करती है। नियमित पाठ से घर और मन का वातावरण सकारात्मक और शांतिपूर्ण रहता है।
  • नए कार्यों में सफलता: यदि आप कोई नया व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, परीक्षा दे रहे हैं या कोई नया प्रोजेक्ट ले रहे हैं, तो गणेश चालीसा का पाठ आपके प्रयासों को सफलता में बदलने में सहायक हो सकता है।

गणेश चालीसा पढ़ने की सावधानियाँ

  • शुद्धता बनाए रखें: पाठ से पहले स्नान करें और शुद्ध वातावरण में बैठें। मानसिक और शारीरिक शुद्धता भगवान की कृपा पाने के लिए आवश्यक है।
  • उच्चारण में स्पष्टता: हर शब्द को सही और स्पष्ट उच्चारण के साथ बोलें ताकि उसका प्रभाव पूरी तरह महसूस हो सके।
  • ध्यान और एकाग्रता: पाठ के समय आपका मन कहीं और न भटके। मन और आत्मा दोनों से भगवान के प्रति समर्पित रहें।
  • जल्दबाज़ी से बचें: पाठ को जल्दी-जल्दी पढ़ने से उसका प्रभाव कम हो सकता है। हर पंक्ति को भाव से पढ़ें और अर्थ समझें।
  • इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ से दूरी: पाठ करते समय मोबाइल या अन्य डिवाइस से दूरी बनाए रखें ताकि आप पूरी तरह से ध्यान भगवान में केंद्रित कर सकें।

गणेश चालीसा से जीवन में प्रेरणा

गणेश चालीसा केवल एक भक्ति गीत नहीं बल्कि एक जीवन दर्शन है, जो हमें यह सिखाता है कि आत्मविश्वास, श्रद्धा और विवेक के साथ कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है।

हर चौपाई हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन, धैर्य और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती है। इससे न केवल आध्यात्मिक प्रगति होती है बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है।


सवाल-जवाब: गणेश चालीसा को और करीब से जानिए

Q. गणेश चालीसा कितनी बार पढ़नी चाहिए?

आप इसे रोज़ाना पढ़ सकते हैं या विशेष कार्यों में सफलता के लिए 11, 21 या 40 दिनों तक लगातार पढ़ सकते हैं। श्रद्धा सबसे महत्वपूर्ण है।

Q. क्या गणेश चालीसा महिलाएं पढ़ सकती हैं?

हाँ, स्त्रियाँ भी पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ गणेश चालीसा का पाठ कर सकती हैं। इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं है।

Q. क्या बिना दीया जलाए गणेश चालीसा पढ़ सकते हैं?

हाँ, लेकिन जब आप दीया जलाकर पाठ करते हैं, तो वातावरण में एक पवित्रता और ऊर्जा बनती है जो आपकी साधना को और प्रभावी बनाती है।


तो आइए, आज से ही इस दिव्य चालीसा को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और गणपति बप्पा की कृपा से अपने जीवन को सफल और सार्थक बनाएं।

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