Vishnu Chalisa | विष्णुचालीसा – सृष्टि रचयिता की दिव्य स्तुति
विष्णु चालीसा केवल एक भक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह भगवान विष्णु के श्रीचरणों में अर्पित 40 श्लोकों की वह साधना है जो भक्त के जीवन को धर्म, शांति, सफलता और मोक्ष की ओर अग्रसर करती है। भगवान विष्णु को पालनकर्ता माना जाता है – वे ही संतुलन बनाए रखने वाले हैं।

विष्णु चालीसा क्या है?
विष्णु चालीसा एक भक्ति-पूर्ण स्तुति है जिसमें भगवान विष्णु के स्वरूप, अवतारों, करुणा, और शक्ति का वर्णन होता है। यह चालीसा उन भक्तों के लिए अमृत समान है जो जीवन में संतुलन, सफलता और मोक्ष की खोज कर रहे हैं।
इस चालीसा में नारायण के दशावतारों, उनकी करुणा, दया और भक्तों की रक्षा के वृतांत शामिल होते हैं। भगवान विष्णु को “पालनहार” माना जाता है – यह स्तुति उनके उसी रूप को समर्पित है।
विष्णु चालीसा कब और कैसे पढ़ें ?
समय | लाभ |
प्रातःकाल सूर्योदय से पहले | दिनभर मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा |
एकादशी के दिन | विष्णु पूजा का सर्वोत्तम समय |
नई शुरुआत, नौकरी, विवाह आदि से पहले | सफलता और सौभाग्य की प्राप्ति |
मानसिक तनाव या असुरक्षा के समय | आत्मविश्वास और सुरक्षा का अनुभव |
Vishnu Chalisa | श्री विष्णु चालीसा
दोहा
श्री विष्णु पद कमल नमो, सदा करो उपकार।
जग पालन करते रहो, दूर करो संहार॥
चौपाई
जय जय श्री विष्णु भगवान।
भक्तन के तुम रखो ध्यान॥
संकट काटो, जीवन सवारो।
हरो क्लेश, भवसागर तारो॥
शंख चक्र गदा धार धारी।
पीताम्बर तन सुंदर भारी॥
कौस्तुभ मणि ह्रदय बिराजे।
सुर-मुनिजन सदा नमाजे॥
गरुड़ आरूढ़ विराजे देव।
लोकपाल तुम सबके सेव॥
दशावतार रूप धर आते।
भक्तों के संकट हर जाते॥
मछ अवतार से वेद बचाये।
कच्छप रूप धर धरती उठाये॥
वराह बने हिरण्य हरो।
नरसिंह रूप प्रह्लाद तरो॥
वामन बन बली को मापा।
त्रैलोक्य फिर विष्णु प्रतापा॥
परशुराम से क्षत्रिय मारे।
रामचन्द्र बन रावण मारे॥
बलभद्र रूप गदा उठाई।
कृष्ण रूप गोवर्धन छाई॥
बुद्ध बने जग अज्ञान मिटाया।
कल्कि रूप फिर दुष्ट संघाया॥
भक्तों का पालन तुम करते।
वैरियों का नाश कर देते॥
धूप दीप नैवेद्य सुपारी।
भक्त करें आरती तुम्हारी॥
हरि नाम जो नित्य उचारै।
दुख दरिद्र न कबहुँ सताय॥
जो भी पढ़े चालीसा प्यारा।
सो भवसागर से उतारा॥
दोहा
विष्णु चालीसा जो पढ़े, ध्यान धरि हरि नाम।
भवबंधन सब कटि जावें, मिले विमल श्रीधाम॥
पाठ की विधि
- प्रातः स्नान करके साफ वस्त्र पहनें।
- विष्णु जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक, धूप और फूल चढ़ाएं।
- पीले या सफेद फूलों और तुलसी दल से पूजन करें।
- शांत मन और श्रद्धा से चालीसा का पाठ करें।
- अंत में विष्णु आरती गाएं और मन की बात कहें।
विष्णु चालीसा के लाभ
1. धार्मिक और मानसिक शांति
विष्णु चालीसा पढ़ने से मन शांत रहता है और विचारों में संतुलन आता है।
2. कर्मों का शुद्धिकरण
भगवान विष्णु कर्मफल दाता हैं। उनका स्मरण करने से हमारे कर्म शुद्ध होते हैं।
3. भय और असुरक्षा से मुक्ति
चालीसा पाठ से मन में दृढ़ता और भयमुक्ति आती है। यह जीवन को स्थिर करता है।
4. आर्थिक उन्नति
श्रीहरि को लक्ष्मीपति कहा गया है। उनका नाम लेने से दरिद्रता और आर्थिक संकट दूर होते हैं।
5. भवसागर से मुक्ति
चालीसा हमें भक्ति के माध्यम से आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर ले जाती है।
विष्णु चालीसा पढ़ने की सावधानियाँ
- स्वच्छता का ध्यान रखें – स्नान करके पाठ करें।
- उच्चारण स्पष्ट रखें – भाव और श्रद्धा से बोलें।
- ध्यान भंग न हो – मोबाइल, टीवी आदि से दूरी बनाएं।
- भक्ति भावना रखें – केवल पाठ ही नहीं, भावना भी ज़रूरी है।
- तुलसी अर्पित करें – विष्णु जी को तुलसी अत्यंत प्रिय है।
विष्णु चालीसा से जीवन में प्रेरणा
विष्णु चालीसा हमें यह सिखाती है कि धर्म, संतुलन और करुणा से ही जीवन में सच्ची सफलता और शांति पाई जा सकती है। हर चौपाई एक जीवन पाठ है, जो भक्त को आत्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।
यह चालीसा केवल स्तुति नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन है, जो हर परिस्थिति में भक्त को मार्गदर्शन देती है।
सवाल-जवाब: विष्णु चालीसा से जुड़े सामान्य प्रश्न
आप इसे रोज़ सुबह पढ़ सकते हैं, विशेषकर एकादशी, गुरुवार, और त्योहारों के दिन। इच्छानुसार 11 या 21 दिन तक निरंतर पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
हाँ, श्रद्धा और शुद्धता से स्त्रियाँ विष्णु चालीसा का पाठ कर सकती हैं। इसमें किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।
हाँ, लेकिन तुलसी अर्पित करने से पूजा का प्रभाव और अधिक पवित्र तथा फलदायी होता है।
समाप्ति वाक्य
श्रीहरि विष्णु की कृपा से जीवन के सारे संकट समाप्त होते हैं और सच्चे सुख की प्राप्ति होती है।
आज से ही विष्णु चालीसा को अपने जीवन का अंग बनाएं और धर्म, भक्ति और शांति का अनुभव करें।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय!